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लम्हे

रातोंकी नींदके बदले चुनते हैं लम्हे कुछ खुद के लिए। वो तनहा आलम,वो खामोशी बनती हैं फिर मेरी जुबान। दूरसेही हवा का झोंका झांक  लौट जाता है बेज़ुबान। पहलु में  बैठे हुए खुदके हम जुस्तजू खुदसे करते हैं। गुनगुनाने लगते हैं फिर गीत कुछ अनसुना सा। या तस्वीर में उतर आता हैं ख्वाब कुछ अनदेखा सा। खुद की तलाश करने की कोशिश हैं ये खुद को जिंदा रखने की कोशिश हैं ये। #कविता #kavita #hindipoem #hindi #shayari #stressbuster